वक्त के साथ-08-May-2024
प्रतियोगिता हेतु
दिनांक 08/05/2024
वक्त के साथ (स्वैच्छिक)
वक्त के साथ ढल गए हम,
जी हां! देखो बदल गए हम।
कब तक करते इंतज़ार तुम्हारा?
तुमसे आगे निकल गए हम।
वक्त के साथ ढल गए हम,
जी हां! देखो बदल गए हम।
ये साथ यही तक था हमारा,
ज़िंदगी भर का नहीं था सहारा।
मिल गया हमको आज किनारा,
बेचैन रातें कर गए हम।
वक्त के साथ ढल गए हम,
जी हां! देखो बदल गए हम।
तुम्हारी बातें आज नहीं हैं याद,
लगता नहीं जैसे कल की हो कोई बात।
साथ बिताए सफर को भी भूल गए हम,
बिताए लम्हें जो हमने साथ नहीं अब ग़म।
वक्त के साथ ढल गए हम,
जी हां! देखो बदल गए हम।
शाहाना परवीन 'शान'...✍️
Mohammed urooj khan
09-May-2024 01:38 PM
👌🏾👌🏾👌🏾👌🏾
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Gobind Rijhwani "Anand"
08-May-2024 03:00 PM
बहुत बढ़िया लिखा है जी 👌👌👌👌👌👍
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kashish
08-May-2024 02:55 PM
Amazing
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